जहां पेंग्युन भी उड़ सकती हैं
अगस्त 28, 2008 6 टिप्पणियां
मैं तो यही समझता कि पेंग्युन उड़ नहीं सकती हैं पर शायद क्या मालुम कोई ऐसी जगह हो।
🙂
उन्मुक्त पर मेरे विचार, छुट-पुट पर कुछ इधर की, कुछ उधर की
अगस्त 28, 2008 6 टिप्पणियां
मैं तो यही समझता कि पेंग्युन उड़ नहीं सकती हैं पर शायद क्या मालुम कोई ऐसी जगह हो।
🙂
Filed under सॉफ्टवेयर
के बारे में उन्मुक्त
मैं हूं उन्मुक्त - हिन्दुस्तान के एक कोने से एक आम भारतीय। मैं हिन्दी मे तीन चिट्ठे लिखता हूं - उन्मुक्त, ' छुट-पुट', और ' लेख'। मैं एक पॉडकास्ट भी ' बकबक' नाम से करता हूं।
मेरी पत्नी शुभा अध्यापिका है। वह भी एक चिट्ठा ' मुन्ने के बापू' के नाम से ब्लॉगर पर लिखती है।
कुछ समय पहले, १९ नवम्बर २००६ में, 'द टेलीग्राफ' समाचारपत्र में 'Hitchhiking through a non-English language blog galaxy' नाम से लेख छपा था। इसमें भारतीय भाषा के चिट्ठों का इतिहास, इसकी विविधता, और परिपक्वत्ता की चर्चा थी। इसमें कुछ सूचना हमारे में बारे में भी है, जिसमें कुछ त्रुटियां हैं। इसको ठीक करते हुऐ मेरी पत्नी शुभा ने एक चिट्ठी 'भारतीय भाषाओं के चिट्ठे जगत की सैर' नाम से प्रकाशित की है। इस चिट्ठी हमारे बारे में सारी सूचना है। इसमें यह भी स्पष्ट है कि हम क्यों अज्ञात रूप में चिट्टाकारी करते हैं और इन चिट्ठों का क्या उद्देश्य है।
मेरा बेटा मुन्ना वा उसकी पत्नी परी, विदेश में विज्ञान पर शोद्ध करते हैं।
मेरे तीनों चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की सामग्री तथा मेरे द्वारा खींचे गये चित्र (दूसरी जगह से लिये गये चित्रों में लिंक दी है) क्रिएटिव कॉमनस् शून्य (Creative Commons-0 1.0) लाईसेन्स के अन्तर्गत है। इसमें लेखक कोई भी अधिकार अपने पास नहीं रखता है। अथार्त, मेरे तीनो चिट्ठों, पॉडकास्ट फीड एग्रेगेटर की सारी चिट्ठियां, कौपी-लेफ्टेड हैं या इसे कहने का बेहतर तरीका होगा कि वे कॉपीराइट के झंझट मुक्त हैं। आपको इनका किसी प्रकार से प्रयोग वा संशोधन करने की स्वतंत्रता है। मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप ऐसा करते समय इसका श्रेय मुझे (यानि कि उन्मुक्त को), या फिर मेरी उस चिट्ठी/ पॉडकास्ट से लिंक दे दें।
मुझसे समपर्क का पता यह है।
बुलबुल मारने पर दोष… पर अरे, यह तो मेरे ध्यान में था ह… | |
उन्मुक्त पर बचपन की प्रिय पुस्तकें | |
rkrahulkmr पर बचपन की प्रिय पुस्तकें | |
Gulab dulichand Pars… पर तूफानी-अंधेरी रात, बस स्टॉप और… | |
Abhay Chauhan पर तूफानी-अंधेरी रात, बस स्टॉप और… |
अद्भुत—और क्या कहें इस विल्कक्षण नजारे को. वाह!! आनन्द आ गया. हमने कभी नहीं सुना था कि पेन्गुईन उड़ सकती हैं इतना जबरदस्त!! आभार मित्र इस जानकारी का!!
करत करत अभ्यास के जड़मति होय सुजान।
very strange, unbelievabale.
Regards
jay ho ..mujhe ye bahut pasand hai.ud bhi sakti hai aaj pata chala.
Penguines can Fly ONLY when they USE “LINUX ” 😉
पिंगबैक: आज का दिन महत्वपूर्ण है « छुट-पुट